कदम्ब एक प्रसिद्ध फूलदार वृक्ष है, जोकि अन्य पेड़ों की तरह काफी बड़े होते हैं। ये ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक पाए जाते हैं। वैसे तो देश के कई स्थानों पर पाए जाते हैं लेकिन उत्तर भारत में इनकी कई प्रजातियां देखने को मिलती है। यह राजकदम्ब, कदम्बिका आदि नामों से जाना जाता है। पुराणों में प्रचलित है की भगवान श्री कृष्ण कदम्ब के पेड़ के नीचे ही रहकर अपनी बांसुरी बजाया करते थे। यह मनुष्यों और यहां तक कि पशुओं को भी तमाम तरह के गंभीर रोगों से मुक्ति दिलाता है। कृष्ण की लीलाओं से जुड़ा होने के कारण कदम्ब का उल्लेख ब्रजभाषा के अनेक कवियों ने किया है। इसके फूल खूशबूदार होते हैं, जिसका इत्र भी बनता है जो बरसात के मौसम में अधिक उपयोग में आता है।
यदि आपके शरीर में कमजोरी हो तो आप राजकदम्ब के फलों से बने चूर्ण का सेवन प्रतिदिन पानी के साथ करें। इसके नियमित सेवन से शरीर की कमजोरी जल्द दूर हो जायेगी।
चार सौ ग्राम पानी में कदम्ब के फल और पत्तियों के साथ उसकी छाल को 10-10 ग्राम मिलाकर काढ़ा बना लें। इसका सेवन सुबह शाम करें। इससे एजर्जी ठीक हो जाएगी।
बहुत से लोग पेट से जुड़ी समस्याओं से परेशान रहते है। पेट के ख़राब होने से कब्ज, गैस आदि समस्याएं उत्पन्न हो जाती है। कदम्ब के फल से इसका उपचार किया जा सकता है। इसके लिए कदम्ब के फल का रस निकाल ले और उसमे सेंधा नमक को मिला ले।
आयुर्वेद में कदंब की सूखी लकड़ी से ज्वर दूर करने की दवा तथा मुँह के रोगों में पत्तियों के रस से कुल्ला करने का उल्लेख मिलता है।
यदि आप मुंह के छालो के लिए परेशान है तो आप कदम्ब का सहारा ले सकते है। इसके लिए कदम्ब के पत्तो और उसके फल को पानी में अच्छी तरह से उबाल ले और फिर उस पानी के हलके ठंडा हो जाने पर उससे कुल्ला करे। यह छालों के लिए बहुत ही लाभकारी होता है।