अगर आप लंबी जिंदगी जीना चाहते हैं और मानसिक तनाव से दूर रहना चाहते हैं, तो अच्छा होगा अगर आप रात में जल्दी बिस्तर में घुस जाएं और सुबह जल्दी उठने की आदत डालें। एक रिसर्च के मुताबिक जो लोग देर रात तक जागते हैं और सुबह देर तक सोते रहते हैं, उनमें जल्दी सोने और जल्दी जागने वालों की तुलना में मरने की आशंका 10 प्रतिशत अधिक होती है। जो लोग देर रात तक बिस्तर से दूर रहते हैं और सुबह देर तक सोते रहते हैं, वे जल्दी उठने वालों की तुलना में कम जीते हैं। आप जितने बजे खाना खाएंगे, उसके दो – तीन घंटे बाद आपके शरीर में ग्लूकोज़ का स्तर अपने उच्चतम स्तर पर पहुंचेगा। उसे नियंत्रित करने के लिए इंसुलिन का स्राव पैनक्रियाज़ द्वारा होगा, जो धीमे-धीमे ग्लूकोज़ के स्तर के कम करेगा। यानी रात 9 बजे खाना खाया, तो 11-12 बजे के बीच ग्लूकोज़ उच्चतम होकर, फिर इंसुलिन से नियंत्रित होते हुए सुबह 3-4 बजे के बीच कम या सामान्य स्तर पर आएगा। इस समय कुछ न खाया और ग्लूकोज़ की भरपाई नहीं की, तो बहुत सारी समस्याएं सिर उठाने लगेंगी।
वजन बढ़ने और ज्यादा सोने का तो सीधा सम्बन्ध है। सोते समय हमारी सभी उपापचय क्रियाएँ धीमी पड़ जाती है। सोने में शरीर की बहुत कम ऊर्जा खर्च होती है, जिससे कम कैलोरीज बर्न होती है. फलतः अनावश्यक Fat शरीर में बढ़ने लगता है।
अगर आप ज्यादा देर तक सोते हैं तो दिल की सेहत पर बोझ पडऩे लगता है। वर्ष 2013 में अमरीकन जर्नल ऑफ कार्डियोलॉजी की एक रिपोर्ट के अनुसार लंबे समय तक सोने से लेफ्ट वेंटिकुलर का वजन बढ़ सकता है, जिससे हार्ट अटैक की आशंका बढऩे लगती है। न्यूरोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन में पाया गया कि कम नींद की वजह से कार्डियोवैस्कुलर रोगों का खतरा 18 फीसदी बढ़ जाता है, जबकि देर तक सोने की वजह से स्ट्रोक का जोखिम 46 फीसदी।
खाना समय से खाएं, रात का खाना बहुत गरिष्ठ न हो, प्रतिदिन व्यायाम करें, सोने और भोजन के बीच में अन्तराल हो – ये नियम एक स्वस्थ नींद के सहायक हैं। अधिकतर लोग आदतवश ज्यादा सोते हैं, जिसे 15-20 दिन में धीरे-धीरे कम करते हुए सामान्य, स्वस्थ नींद के स्तर पर लाया जा सकता है।