कनेर का पौधा भारत में लगभग सभी स्थानों पर पर पाया जाता है। कनेर का पौधा भारत के मंदिरों में उद्यान में, घर और राष्ट्रीय राजमार्गों के किनारों पर लगाए जाते हैं। कनेर के पौधे की मुख्य रूप से तीन प्रजाति पाई जाती है। जिसमें लाल कनेर, सफेद कनेर और पीले रंग के कनेर के फूल होते हैं। यह एक सदाबहार फूल है, इसके साथ ही आज हम इसके कुछ औषधीय गुणों को जानेंगे।
- सफेद कनेर के फूल की जड़ को घिसकर जहां पर बिच्छू ने डंक मारा हो, उस स्थान पर लेप करने या इसके पत्तों का रस पिलाने से सांप या बिच्छू का जहर उतर जाता है। इससे बिच्छू डंक के दर्द में तुरंत राहत मिलती है।
- कभी कभी शरीर के घाव जल्दी नहीं भरते हैं। इसके लिए कनेर के सूखे हुए पत्तों का चूर्ण बनाकर घाव पर लगाए आराम मिलेगा।
- फोड़े फुंसियां बहुत से लोगों को कुछ ज्यादा ही परेशान कर देती हैं। कनेर के लाल फूलों को लें। उसे पीसकर लेप बना लें। अब इस लेप को फोड़े-फुंसियों पर दिन में 2 से 3 बार लगाएं। ऐसा करने से आप देखेंगे कि आपकी फोड़े और फुंसियां ठीक हो जाएंगी।
- कनेर के सफेद फूल वाले पौधे की डंठल का दातून रोजाना 2 बार करने से दांत का दर्द ठीक होता है। इससे दांत मजबूत भी हो जाते हैं।
- सफेद और लाल कनेर फूल या पीले रंग के फूल वाले कनेर वाले पौधे के पत्ते को दूध में पीसकर सिर में लगाने से बालों का सफेद होना या पलित रोग कम होता है।
- कुष्ठ रोग होने पर कनेर की जड़ की छाल का रस निकालकर रोगग्रस्त स्थान पर लगाने से कोढ़ और अन्य त्वचा रोग समाप्त होते हैं और त्वचा पहले की तरह हो जाती है।