गाँव में खेत-खलिहान या झाड़ियों के बीच जो पौधा उग आता है ना, उसको ज़्यादातर लोग खर-पतवार समझकर तोड़ फेंक देते हैं। वही पौधा है कुकरौंधा। कई जगह इसको कुकुरमुत्ता भी कहा जाता है। दिखने में साधारण लगता है, पर इसके गुण बड़े कमाल के हैं। मैंने अपने जीवन के 20 साल से ज़्यादा आयुर्वेद पढ़ने-समझने में लगाए हैं और खुद भी रोगियों पर इसका इस्तेमाल किया है।
अब तुम सोच रहे होगे – ये छोटा-सा पौधा आखिर करता क्या है?
1. भूख बढ़ाने वाला और पाचन सुधारने वाला
जिन्हें खाने का स्वाद नहीं लगता, पेट भरा-भरा लगता है, गैस या अपच की तकलीफ़ रहती है – उनके लिए कुकरौंधा अमृत है। इसकी जड़ उबालकर काढ़ा बनाओ और रोज़ सुबह-शाम पियो, पेट का सारा गड़बड़ झट से ठीक।
2. खुजली–फुंसी का इलाज
आजकल गंदे खानपान से फोड़े-फुंसी, खुजली और दाद बहुत होते हैं। इसकी पत्तियाँ पीसकर लेप बना लो और लगा दो – ठंडक भी मिलेगी और आराम भी मिलेगा। कई बार पुराने फोड़े तक इससे भर जाते हैं।
3. बुखार में असरदार
गाँव में पहले डॉक्टर कहाँ होते थे? बुखार आने पर लोग कुकरौंधा का काढ़ा ही पिला देते थे। मलेरिया हो या मौसम बदलने वाला ज्वर – ये पसीना लाकर बुखार को नीचे करता है और शरीर की ताक़त भी लौटाता है।
4. खून साफ़ करने वाला
कुकरौंधा खून को साफ़ करता है। जब खून शुद्ध होगा तो चेहरे पर चमक अपने आप आएगी। जिन लड़कों-लड़कियों को मुहाँसे और दाने की समस्या रहती है, उनको इसका रस बहुत फ़ायदा करता है।
5. लीवर और पित्त की गड़बड़ी
पीलिया हो जाए, मुँह कड़वा लगे, उल्टी-दस्त हो जाएँ – तो समझ लो पित्त बिगड़ा है। ऐसे में कुकरौंधा की जड़ का रस या काढ़ा पिलाओ, लीवर ठीक काम करने लगेगा और पित्त शांत हो जाएगा।
6. औरतों के रोगों में फ़ायदा
बहुत ज़्यादा मासिक धर्म आना, श्वेत प्रदर (सफ़ेद पानी) और कमजोरी जैसी दिक़्क़तों में भी ये काम आता है। इसकी जड़ का चूर्ण दूध के साथ लेने से आराम मिलता है।
7. घाव और सूजन में दवा
कभी चोट लग जाए, घाव हो जाए या पुराना ज़ख़्म भर न रहा हो – तो कुकरौंधा की पत्तियों का लेप लगाओ। ये सूजन उतारेगा, दर्द शांत करेगा और ज़ख़्म जल्दी भर देगा। पुराने ज़माने में यही सैनिकों की दवा हुआ करती थी।
कैसे इस्तेमाल करें?
- काढ़ा – जड़ उबालकर सुबह-शाम एक गिलास।
- लेप – पत्तियाँ पीसकर सीधे लगाएँ।
- चूर्ण – जड़ों का सुखाकर बारीक पाउडर, 2–3 ग्राम दिन में दो बार।
ज़रूरी सावधानी
देखो बेटा, दवा चाहे जड़ी-बूटी की ही क्यों न हो, लेकिन हद से ज़्यादा लेना नुकसान भी कर सकता है। कुकरौंधा ज़्यादा खा लोगे तो दस्त हो सकता है। औरतें अगर गर्भवती हैं तो बिल्कुल न लें। बच्चों को भी बिना वैद्य की सलाह के मत देना।
कुकरौंधा दिखने में छोटा, पर काम में बड़ा भारी है। भूख, बुखार, खून की गंदगी, पित्त की समस्या, औरतों की तकलीफ़ – सबमें काम आता है। मेरे अनुभव में, अगर सही मात्रा और सही तरीके से लिया जाए तो ये बड़ी-बड़ी दवाइयों से बेहतर असर करता है।
नोट: यह जानकारी परंपरागत आयुर्वेद और व्यक्तिगत अनुभव पर आधारित है। किसी भी रोग में कुकरौंधा या अन्य घरेलू नुस्ख़ा अपनाने से पहले किसी योग्य आयुर्वेदाचार्य या डॉक्टर की सलाह ज़रूर लें।