परिजात को लोग अलग-अलग नामों से जानते हैं – हरसिंगार, शियाली, नाइट फ्लावरिंग जैस्मीन। ये छोटा पेड़ या झाड़ी जैसा पौधा होता है, जिस पर सफेद रंग के फूल खिलते हैं जिनका डंठल हल्का नारंगी होता है। ये फूल रात में खिलते हैं और सुबह ज़मीन पर गिर जाते हैं।
गाँव में इसे लोग भगवान को चढ़ाते हैं। कई जगह मान्यता है कि ये फूल स्वर्ग से आया हुआ है। इसलिए इसे “स्वर्ग का फूल” भी कहा जाता है।
धार्मिक महत्व
- परिजात का फूल भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को चढ़ाना शुभ माना जाता है।
- नवरात्रि, दुर्गा पूजा और खास पर्वों में इसके फूल की पूजा होती है।
- इसे अमरत्व और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है।
साइंस और आयुर्वेद की नजर से
आयुर्वेद में परिजात के फूल, पत्ते और छाल – सबको औषधि माना गया है।
इसमें फ्लेवोनॉइड्स, ग्लाइकोसाइड्स, और आवश्यक तेल पाए जाते हैं।
ये तत्व एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-बैक्टीरियल और इम्यून बूस्टर की तरह काम करते हैं।
परिजात फूल और पत्तों के फायदे
1. जोड़ और हड्डियों का दर्द
परिजात की पत्तियों का रस या काढ़ा गठिया और जोड़ दर्द में दिया जाता है। इससे सूजन और अकड़न कम होती है।
2. बुखार में असरदार
आयुर्वेद के अनुसार, परिजात की पत्तियों का काढ़ा पुराना बुखार, खासकर मलेरिया और डेंगू जैसे बुखार में राहत देता है।
3. त्वचा के लिए फायदेमंद
फूल और पत्तियों में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं, जिससे त्वचा पर दाने, खुजली या इंफेक्शन कम हो सकते हैं।
4. खांसी-जुकाम में राहत
परिजात की पत्तियों का काढ़ा या चाय पीने से गले की खराश, खांसी और जुकाम में आराम मिलता है।
5. पेट और पाचन तंत्र
इस पौधे का अर्क कब्ज, गैस और अपच की समस्या में भी काम आता है।
6. इम्यूनिटी बूस्टर
इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाते हैं, जिससे मौसमी बीमारियों से बचाव होता है।
इस्तेमाल कैसे करें?
- काढ़ा – 5–6 पत्तियाँ पानी में उबालकर काढ़ा बनाएं और छानकर पिएं।
- फूल की चाय – परिजात के फूलों को सुखाकर चाय की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है।
- पत्तियों का लेप – पीसकर घाव या सूजन पर लगाया जा सकता है।
- पूजा-पाठ में – फूल भगवान को अर्पित करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा मानी जाती है।
सावधानियाँ
- ज़्यादा मात्रा में इसका सेवन करने से पेट दर्द या उल्टी हो सकती है।
- गर्भवती महिलाएँ बिना डॉक्टर की सलाह के इसका उपयोग न करें।
- किसी भी गंभीर बीमारी में इसे दवा की जगह इस्तेमाल न करें, सिर्फ सहायक उपाय के तौर पर लें।
निष्कर्ष
परिजात का फूल सिर्फ एक सुंदर और पवित्र पौधा नहीं है, बल्कि ये आयुर्वेद की दृष्टि से भी बहुत काम का है। ये बुखार, जोड़ दर्द, खांसी-जुकाम, त्वचा रोग और इम्यूनिटी बढ़ाने तक में फायदेमंद है।
इसलिए अगर आपके आँगन या गली में परिजात का पेड़ खिला है, तो समझ लीजिए कि आपके घर में प्रकृति का एक छोटा-सा आयुर्वेदिक खज़ाना मौजूद है।
नोट: यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। किसी भी घरेलू उपाय को अपनाने से पहले डॉक्टर या आयुर्वेद विशेषज्ञ से सलाह लेना ज़रूरी है।