माइक्रोप्लास्टिक का खतरा: दिल का दौरा, स्ट्रोक और मौत का जोखिम 4.5 गुना बढ़ा सावधान!

आज के दौर में प्लास्टिक प्रदूषण केवल पर्यावरण तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह इंसानी शरीर के लिए भी बहुत बड़ा खतरा बन चुका है। हाल ही में हुई रिसर्च के अनुसार, माइक्रोप्लास्टिक और नैनोप्लास्टिक के कण इंसानी दिमाग तक पहुंच रहे हैं, जिससे दिल का दौरा, स्ट्रोक और अकाल मृत्यु का जोखिम 4.5 गुना तक बढ़ सकता है।

कैसे पहुंच रहे माइक्रोप्लास्टिक हमारे दिमाग तक?

माइक्रोप्लास्टिक और नैनोप्लास्टिक कण पानी, हवा और खाने के जरिए हमारे शरीर में प्रवेश कर रहे हैं। ये बेहद छोटे कण होते हैं, जो ब्लड स्ट्रीम के जरिए दिमाग तक पहुंच जाते हैं। रिसर्च में पाया गया है कि ये कण न्यूरोइन्फ्लेमेशन (दिमागी सूजन) बढ़ाते हैं, जिससे ब्रेन स्ट्रोक, हार्ट अटैक और अन्य गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

4.5 गुना बढ़ा दिल के दौरे और स्ट्रोक का खतरा

एक हालिया अध्ययन में यह खुलासा हुआ कि जिन लोगों के खून में ज्यादा मात्रा में माइक्रोप्लास्टिक पाया गया, उनमें हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा 4.5 गुना तक बढ़ जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार, माइक्रोप्लास्टिक धमनियों में सूजन, ब्लड क्लॉटिंग और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को बढ़ा सकता है, जिससे दिल संबंधी बीमारियां तेजी से बढ़ने लगता है। 

माइक्रोप्लास्टिक से बचाव के उपाय

1. प्लास्टिक से बनी हुई वस्तुओं का कम इस्तेमाल करें। 

2. फिल्टर किया हुआ पानी पिएं और प्लास्टिक पैक्ड फूड से बचें।

3. ताजे और ऑर्गेनिक भोजन को ही महत्व दे। 

4. प्लास्टिक प्रदूषण कम करने में सहयोग करें।

निष्कर्ष

माइक्रोप्लास्टिक और नैनोप्लास्टिक सिर्फ पर्यावरण नहीं, बल्कि हमारी सेहत के लिए भी गंभीर खतरा समस्या हैं। यह ना सिर्फ दिल और दिमाग पर बुरा असर डालता हैं, बल्कि समय से पहले मौत का खतरा भी बढ़ जाता हैं। इसलिए जरूरी है कि हम कम से कम प्लास्टिक का उपयोग करें और अपनी सेहत का ध्यान रखें।

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