गाँव या शहर के किनारे आपने तालाब या पोखर में छोटे-छोटे हरे-भरे पौधे जरूर देखे होंगे। इनमें एक खास पौधा है, जिसे लोग कमलगट्टा कहते हैं। लेकिन ध्यान रहे – यह वो कमलगट्टा नहीं जो बेल या पेड़ की तरह उगता है। ये पानी में उगने वाला जलज पौधा है, यानी इसकी जड़ें पानी में रहती हैं और तने सतह पर तैरते रहते हैं।
यह पौधा सिर्फ तालाब की सुंदरता के लिए नहीं है, बल्कि इसमें औषधीय गुण और पर्यावरणीय फायदे भी हैं।
कमलगट्टा क्या है?
- तालाब, पोखर या धीमे बहाव वाली नालियों में उगता है।
- इसके तने तैरते हैं और पानी की सतह पर फैलते हैं।
- पत्ते हरे और चमकदार होते हैं, छोटे-छोटे गोल या अंडाकार फल भी लगते हैं।
- स्वाद में हल्का मीठा-खट्टा होता है, और कुछ लोग इसे औषधि के रूप में भी इस्तेमाल करते हैं।
- यह जलचर पौधा मछलियों और अन्य जलजीवों के लिए भी सुरक्षित है।
साधारण भाषा में कहें तो – यह छोटा पौधा दिखने में साधारण है, लेकिन तालाब, पर्यावरण और सेहत के लिए बड़ा काम का है।
तालाब में कमलगट्टा के फायदे
1. जल पर्यावरण को बेहतर बनाए
कमलगट्टा पानी की सतह पर फैलकर तालाब को ढकता है। इससे पानी की सतह पर सूरज की किरणें कम पहुँचती हैं, और पानी में कुछ हद तक शैवालों (Algae) की वृद्धि नियंत्रित होती है। इस तरह तालाब का पानी साफ़ रहता है और पानी के जीवों के लिए सुरक्षित वातावरण बनता है।
2. मछलियों और छोटे जलजीवों के लिए छाया
तालाब में मछलियाँ और छोटे जलजीव अक्सर सूरज की तेज़ धूप से परेशान हो जाते हैं। कमलगट्टा की पत्तियाँ और तने पानी की सतह पर फैलकर उन्हें छाया और सुरक्षित ठिकाना देते हैं। यह पौधा तालाब की जैव विविधता बनाए रखने में मदद करता है।
3. मिट्टी और पानी के संतुलन में मदद
कमलगट्टा की जड़ें पानी में रहने के कारण मिट्टी को बाँधती हैं। तालाब के किनारे मिट्टी का कटाव कम होता है। साथ ही यह पौधा पानी में मौजूद कुछ पोषक तत्वों को अवशोषित करता है, जिससे पानी का संतुलन बना रहता है।
4. प्रदूषण कम करने में सहायक
कई रिसर्च में देखा गया है कि जलज पौधे जैसे कमलगट्टा पानी में हानिकारक तत्वों और भारी धातुओं को अवशोषित करने में मदद करते हैं। यानी यह तालाब के पानी को थोड़ा स्वच्छ रखने में योगदान देता है।
5. औषधीय गुण
गाँव के लोग इसे सिर्फ तालाब के लिए नहीं, बल्कि घरेलू औषधि के रूप में भी इस्तेमाल करते हैं। कमलगट्टा के फल और पत्तों का रस पेट दर्द, कब्ज़, जोड़ दर्द और बुखार में राहत देता है। बुज़ुर्ग इसे हल्का उबालकर पीते हैं।
6. इम्यूनिटी बढ़ाने में मदद
कमलगट्टा में प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट्स और विटामिन्स होते हैं। नियमित सेवन से शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। यह छोटे-मोटे मौसमी बीमारियों से बचाव में मदद करता है।
कमलगट्टा का इस्तेमाल
- काढ़ा बनाकर – पत्तियाँ और फल पानी में उबालकर काढ़ा बनाया जा सकता है। पेट दर्द, कब्ज़ या इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए पी सकते हैं।
- फल का सेवन – कच्चा या हल्का पका हुआ फल खाने से शरीर को ताकत मिलती है।
- त्वचा पर लेप – रस निकालकर दाग-धब्बे या जलन पर हल्का मसाज।
- तालाब सजावट और स्वास्थ्य – पानी में यह पौधा तालाब की साफ-सफाई और जैव विविधता बनाए रखने में मदद करता है।
गाँव वाले नुस्खे
- पेट दर्द: पत्तियाँ उबालकर उसका पानी पीने से आराम।
- जोड़ दर्द: पत्तियों को पीसकर लेप लगाने से सूजन कम होती है।
- त्वचा के दाग-धब्बे: रस हल्का मसाज करें।
- इम्यूनिटी बढ़ाना: रोज़ाना फल का थोड़ा-थोड़ा सेवन।
गाँव में लोग इसे रोज़मर्रा की छोटी-छोटी बीमारियों में इस्तेमाल करते हैं।
सावधानियाँ
- तालाब में यह पौधा बहुत तेजी से फैल सकता है, इसलिए समय-समय पर साफ करना ज़रूरी है।
- ज्यादा मात्रा में होने पर पानी में ऑक्सीजन कम हो सकती है, जिससे मछलियों पर असर पड़ सकता है।
- औषधि के लिए प्रयोग करते समय साफ़ और स्वच्छ पौधा ही लें, किसी गंदे या कीटाणु वाले हिस्से को न इस्तेमाल करें।
- गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाएँ बिना विशेषज्ञ की सलाह इसके सेवन से बचें।
नतीजा
कमलगट्टा का यह जलज रूप सिर्फ तालाब की शोभा बढ़ाने वाला पौधा नहीं, बल्कि पानी, मछली, पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है।
- तालाब के पानी को साफ़ और संतुलित रखता है।
- मछलियों और जलजीवों को सुरक्षित ठिकाना देता है।
- घरेलू औषधि के रूप में पेट दर्द, कब्ज़, जोड़ दर्द और इम्यूनिटी बढ़ाने में मदद करता है।
अगर आपके तालाब या पोखर में कमलगट्टा है, तो इसे संतुलित मात्रा में उगाएँ और जरूरत पड़ने पर कुछ हिस्सों को हटाकर पानी और मछलियों का संतुलन बनाए रखें।
नोट: यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। किसी भी औषधि या घरेलू उपाय को अपनाने से पहले डॉक्टर या आयुर्वेद विशेषज्ञ से सलाह ज़रूर लें।