बवासीर या पाइल्स मलद्वार के चारों ओर नसों के फूलने या सूजन को कहते हैं। इसमें मस्से जैसे उभार हो जाते हैं। मस्से या तो गुदा के अंदरूनी हिस्से पर होते हैं, या गुदा के चारों ओर। नसों में अंदरूनी सूजन ज्यादातर कम कष्टकारी होती है। इस रोग में जब मल त्यागते वक़्त खून निकलता है तो उसे खूनी बवासीर कहते है। ये खून इतना अधिक होता है की रोगी इसे देख कर घबरा जाता है। बाहरी बवासीर होने पर मस्से सूज कर मोटे हो जाते है जिससे इसमें दर्द, जलन और खुजली भी होने लगती है। बवासीर के कई कारण हो सकते हैं जिनमें प्रमुख हैं वंशानुगत दशा,खानपान सही न होना, फाइबर की कमी गूदे की कैविटी में असामान्य बढ़ोत्तरी ,लम्बे समय तक बैठे रहना और कब्ज़ की समस्या।
डेढ़–दो कागजी नींबू अनिमा के साधन से गुदा में लें। 10-15 मिनट के अंतराल के बाद थोड़ी देर में इसे लेते रहिए उसके बाद शौच जायें। यह प्रयोग 4-5 दिन में एक बार करें। इसे 3 बार प्रयोग करने से बवासीर में लाभ होता है।
आपको बवासीर के साथ मस्सों की भी शिकायत हो तो रात में 3 अंजीर पानी में भिगों दें और सुबह खली पेस्ट इसका सेवन कर पानी को भी पी लें। इसके आधे घंटे कुछ ना खाएं। रोजाना किया गया यह प्रयोग बवासीर के मस्से में भी लाभ पहुंचाता है।
पाइल्स के मस्से दूर करने में हल्दी काफी उपयोगी है। हल्दी में प्राकृतिक एंटीसेप्टिक गुण मौजूद होते है जो घाव भरने और सूजन कम करने में मदद करते है। 1 चम्मच देसी घी में आधा चम्मच हल्दी मिला ले और मलहम की तरह मस्सों पर लगाए। इस उपाय में देशी घी के इलावा आप एलोवेरा जेल का भी प्रयोग कर सकते है।