फाइलेरिया (हाथीपाँव) – क्या है, क्यों होता है, लक्षण और घरेलू उपाय

गाँव-कस्बों में आपने देखा होगा कुछ लोगों के पैर या हाथ असामान्य रूप से बहुत सूज जाते हैं। लोग इसे हाथीपाँव कहते हैं। असल में ये बीमारी है फाइलेरिया (Filariasis), जो मच्छरों से फैलती है। ये धीरे-धीरे बढ़ती है और अगर समय रहते इलाज न मिले तो इंसान की ज़िंदगी मुश्किल बना देती है।

फाइलेरिया क्या है?

फाइलेरिया एक संक्रामक बीमारी है जो खास किस्म के मच्छरों (Culex मच्छर) के काटने से होती है।
ये मच्छर जब किसी संक्रमित व्यक्ति को काटते हैं तो उसके खून में मौजूद सूक्ष्म कीड़े (फाइलेरियल वर्म) दूसरे व्यक्ति तक पहुंचा देते हैं। धीरे-धीरे ये कीड़े खून और लसीका नलिकाओं (Lymph vessels) में पनपकर सूजन और दर्द पैदा करते हैं।

आसान भाषा में कहें तो – फाइलेरिया वो बीमारी है जिसमें शरीर के अंग, खासकर पैर और हाथ, बहुत ज्यादा सूज जाते हैं और मोटे हो जाते हैं।

फाइलेरिया क्यों होता है?

  1. मच्छरों का काटना – गंदगी और पानी जमा होने की जगह पर मच्छर ज्यादा पनपते हैं, वहीं से ये बीमारी फैलती है।
  2. संक्रमित खून – एक संक्रमित व्यक्ति को मच्छर काटे और फिर वही मच्छर किसी स्वस्थ को काटे तो कीड़े फैल जाते हैं।
  3. लसीका तंत्र में रुकावट – ये कीड़े धीरे-धीरे लसीका (Lymph system) को ब्लॉक कर देते हैं, जिससे अंग सूज जाते हैं।

फाइलेरिया के लक्षण

शुरुआत में इसके लक्षण हल्के होते हैं, लेकिन समय के साथ बढ़ जाते हैं।

  1. शुरुआती लक्षण
    • हाथ या पैर में हल्की सूजन
    • बार-बार बुखार आना
    • शरीर में कमजोरी
    • जोड़ो और मांसपेशियों में दर्द
  2. बढ़े हुए लक्षण
    • हाथ-पैर बहुत मोटे हो जाना (हाथीपाँव)
    • जननांगों (अंडकोष) में सूजन
    • त्वचा मोटी और खुरदुरी हो जाना
    • चलने-फिरने में परेशानी
    • लंबे समय तक सूजन रहने से संक्रमण (इंफेक्शन) होना

फाइलेरिया किसे होता है?

  • गंदगी और पानी जमा रहने वाले इलाकों में रहने वालों को
  • जिन जगह मच्छर ज्यादा होते हैं
  • जिनकी इम्युनिटी कमजोर होती है
  • जहाँ साफ-सफाई की कमी रहती है

फाइलेरिया से बचाव कैसे करें?

  1. मच्छरों से बचें
    • मच्छरदानी में सोएं।
    • मच्छर भगाने वाली क्रीम/कॉइल का इस्तेमाल करें।
  2. साफ-सफाई रखें
    • घर और आसपास पानी जमा न होने दें।
    • नाली और गड्ढों को ढककर रखें।
  3. दवा का सेवन
    • WHO और सरकार कई बार फाइलेरिया विरोधी दवा अभियान चलाती है। डॉक्टर की सलाह पर ये दवा ज़रूर लें।
  4. समय पर इलाज
    • शुरुआती लक्षण दिखते ही डॉक्टर से मिलें, वरना बीमारी बढ़ सकती है।

फाइलेरिया के घरेलू उपाय

ध्यान रहे: घरेलू उपाय सिर्फ सहायक हैं, इलाज का विकल्प नहीं।

  1. लहसुन
    • लहसुन में एंटी-पैरासिटिक गुण होते हैं। इसे कच्चा खाना या दूध के साथ लेना फायदेमंद है।
  2. अदरक
    • अदरक का रस पीने से सूजन और दर्द में आराम मिलता है।
  3. नीम
    • नीम की पत्तियाँ और तेल संक्रमण को रोकने में मददगार हैं।
  4. गर्म पानी से सिंकाई
    • सूजे हुए हिस्से पर हल्के गुनगुने पानी से सिकाई करें, सूजन और दर्द कम होगा।
  5. हल्दी वाला दूध
    • हल्दी में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। रोज़ हल्दी वाला दूध पीने से शरीर में कीड़े मरने और सूजन घटाने में मदद मिलती है।
  6. पपीते के बीज
    • पपीते के बीज का पेस्ट बनाकर सूजे हुए हिस्से पर लगाने से सूजन और संक्रमण में आराम मिलता है।

फाइलेरिया में क्या न करें?

  • गंदगी और पानी जमा न होने दें।
  • सूजे हुए हिस्से को खुजलाएँ नहीं।
  • नंगे पाँव गंदे पानी में न जाएँ।
  • शराब और धूम्रपान से दूर रहें क्योंकि ये शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर करते हैं।

फाइलेरिया का इलाज

  • दवाइयाँ (Anti-filarial medicines) – डॉक्टर के बताए कोर्स को पूरा करना बहुत जरूरी है।
  • एंटीबायोटिक और दर्द निवारक दवाएँ – संक्रमण और दर्द को कम करने के लिए।
  • सर्जरी – बहुत गंभीर मामलों में जब अंग बहुत बड़ा हो जाए तो ऑपरेशन भी किया जाता है।

नतीजा

फाइलेरिया यानी हाथीपाँव एक खतरनाक बीमारी है जो मच्छरों से फैलती है। शुरुआत में इसे पहचानकर और इलाज करवा लिया जाए तो बड़ी समस्या से बचा जा सकता है।

  • साफ-सफाई रखें
  • मच्छरों से बचें
  • सरकार द्वारा दी जाने वाली दवा ज़रूर खाएँ
  • और घरेलू उपायों को सहायक तौर पर अपनाएँ।

याद रखो – “फाइलेरिया से बचाव ही सबसे बड़ा इलाज है।”

नोट

घरेलू नुस्खे सिर्फ सहायक हैं। फाइलेरिया या हाथीपाँव जैसी बीमारी में डॉक्टर से सलाह और उचित इलाज लेना बेहद जरूरी है

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