दोस्तों, आजकल हम सब सुबह उठते ही ब्रश और पेस्ट से दाँत साफ करते हैं। ये हमारी आदत बन गई है। लेकिन एक बार सोचना – हमारे दादा-दादी, नाना-नानी कभी पेस्ट-टेस्ट इस्तेमाल करते थे क्या? नहीं। वो दातून करते थे। और मज़े की बात ये कि उनके दाँत ज़िंदगी भर मज़बूत रहते थे।
अब सवाल ये उठता है कि आखिर दातून में ऐसा क्या है जो ब्रश में नहीं?
दातून ब्रश से क्यों बढ़िया है?
- नेचुरल है, केमिकल नहीं
पेस्ट में केमिकल और फ्लोराइड भरे रहते हैं। शुरुआत में ताजगी मिलती है, लेकिन धीरे-धीरे मसूड़े ढीले हो जाते हैं। दातून पूरी तरह प्राकृतिक है। - मसूड़ों की मालिश होती है
जब आप टहनी को चबाते हो, तो मसूड़ों की मालिश होती है। इससे खून का संचार बढ़ता है और मसूड़े मजबूत रहते हैं। - बैक्टीरिया का सफाया
नीम, बबूल, पीपल जैसी दातून अपने आप में दवा हैं। ये मुँह के कीड़े, बदबू और पायरिया जैसी समस्या जड़ से मिटाती हैं। - पेट और शरीर पर असर
आयुर्वेद मानता है कि दातून सिर्फ दाँत ही नहीं, बल्कि पूरे शरीर के लिए फायदेमंद है। पाचन सुधरता है, गला साफ होता है और दिमाग हल्का लगता है।
किस दिन कौन-सी दातून करनी चाहिए?
हमारे बुजुर्ग कहते थे – हर दिन अलग दातून करनी चाहिए। चलो जानते हैं:
- सोमवार – नीम
नीम सबसे बढ़िया एंटीसेप्टिक है। मुँह की बदबू और कीड़े मिटाता है। - मंगलवार – बबूल
बबूल मसूड़ों को मज़बूत करता है और दाँत सफेद करता है। - बुधवार – पीपल
पीपल की दातून पायरिया से बचाती है और दिमाग को भी शांति देती है। - गुरुवार – बेर
बेर की दातून पाचन के लिए अच्छी है और दाँत चमकदार बनाती है। - शुक्रवार – अमरूद
अमरूद की दातून से मसूड़ों से खून आना बंद होता है। - शनिवार – अर्जुन या करंज
ये दातून शरीर को ताकत देती है और हड्डियाँ मज़बूत करती है। - रविवार – जामुन
जिन्हें डायबिटीज की दिक्कत है, उनके लिए जामुन की दातून खास फायदेमंद है।
दातून का सही तरीका
- टहनी ताज़ी और नरम तोड़नी चाहिए।
- सुबह उठकर खाली पेट करनी चाहिए।
- टहनी को पहले थोड़ा चबाकर ब्रश जैसा बना लो, फिर धीरे-धीरे दाँत साफ करो।
- एक ही टहनी दोबारा मत इस्तेमाल करना।
फायदे
- दाँत मोती जैसे सफेद रहते हैं।
- मसूड़े मज़बूत रहते हैं।
- मुँह की बदबू हमेशा के लिए गायब हो जाती है।
- पेट की तकलीफ़ें कम होती हैं।
- रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
- पैसे की बचत भी होती है – न पेस्ट खरीदो, न ब्रश।
ब्रश और पेस्ट सिर्फ़ आधुनिक आदत है, लेकिन दातून तो हमारी पुरानी परंपरा है जिसमें विज्ञान भी छिपा है। अगर आप रोज़ाना दातून करने लगो तो डॉक्टर के पास जाने की ज़रूरत ही नहीं पड़ेगी।
नोट: अगर दाँत या मसूड़ों में पहले से कोई गंभीर समस्या है, तो दातून अपनाने से पहले दंत चिकित्सक या वैद्य से ज़रूर सलाह लें।