घी का मामला थोड़ा जुदा है। वो इसलिए कि घी का स्मोकिंग पॉइंट दूसरी वसाओं की तुलना में बहुत अधिक है। यही वजह है कि पकाते समय आसानी से नहीं जलता। घी में स्थिर सेचुरेटेड बॉण्ड्स बहुत अधिक होते हैं जिससे फ्री रेडिकल्स निकलने की आशंका बहुत कम होती है। घी की छोटी फैटी एसिड की चेन को शरीर बहुत जल्दी पचा लेता है। अब तक आप बहुत उलझन में पड़ गए होंगे कि क्या वाकई घी इतना फायदेमंद है? अब तक तो सभी यही समझा रहे थे कि देशी घी ही रोगों की सबसे बड़ी जड़ है? आयुर्वेद में इस रोग के लिए देसी घी को सर्वोत्तम औषधि मानी गई है। गाय का घी एंटीऑक्सिडेंट से भरा है। इसके अलावा इसमें एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुण पाए जाते हैं। महत्वपूर्ण पोषक तत्वों और फैटी एसिड के साथ भरी हुई घी भी एक सुपरफूड माना जाता है। दूध के साथ सेवन करने पर घी सबसे अधिक फायदेमंद माना जाता है। आपको यह सुनकर अजीब लग रहा होगा मगर यही सच है। प्राचीन समय में, घी के साथ दूध आयुर्वेदिक चिकित्सकों द्वारा लेने की सलाह दी जाती थी। इसे राजा और योद्धा शारीरिक शक्ति के लिए क्या खाते थे।
दूध में घी डालकर पीने से आपकी पाचन क्रिया मजबूत हो जाती है। घी वाले दूध को पीने से पाचन एंजाइम तेजी से काम करतें है जिससे बेहतर पाचन में मदद मिलती है। यदि आपको कब्ज है या पाचन तंत्र कमजोर है, तो आप नियमित रूप से घी वाला दूध पीना चाहिए।
महिलाओं में प्रदर रोग की समस्या में गाय का घी रामबाण की तरह काम करता है। इस रोग से झुटकारा पाने के लिए आप गाय के घी में काला चना व पिसी चीनी तीनों को समान मात्रा में मिलाकर लड्डू बनाएं और इसका सेवन रोज खाली पेट करेंगे। काफी फायदा मिलेगा।
आयुर्वेदिक मान्यता है एक गिलास दूध में एक चम्मच गाय का घी और मिश्री मिलाकर पीने से शारीरिक, मानसिक व दिमागी कमजोरी दूर होती है। साथ ही, जवानी हमेशा बनी रहती है। काली गाय के घी से बूढ़े व्यक्ति भी युवा समान हो जाता है। प्रेग्नेंट महिला घी-का सेवन करे तो गर्भस्थ शिशु बलवान, पुष्ट और बुद्धिमान बनता है।
अगर आप जोड़ों के दर्द से पीड़ित हैं और इससे जल्द छुटकारा पाना चाहते हैं, तो आपको घी और दूध का एक साथ सेवन करना चाहिए। घी जोड़ों में सूजन को कम करने में मदद करता है और दूसरी ओर दूध हड्डियों को मजबूत करता है। तो, अगली बार जब आप जोड़ों के मुद्दों का सामना कर रहे हैं, तो बस एक गिलास दूध में एक चम्मच घी मिलाएं और इसे कुछ दिनों तक पीएं।