सभी घरों में आलू को काफी पसंद किया जाता है। लगभग सभी सब्जियों में आलू का इस्तेमाल होता है। ज्यादातर लोग हफ्ते भर के लिए आलू-प्याज खरीद कर ले आते हैं लेकिन कई बार ज्यादा समय पड़े रहने के कारण आलू में कुछ बदलाव देखने को मिलते हैं जिसे सभी लोग पहचान नहीं पाते और ऐसे ही इनका सेवन कर लेते हैं जो सेहत के लिए खतरनाक साबित होते हैं। आलू एक ऐसी सब्जी है जिसे सभी लोग खाना पसंद करते हैं। जिस तरह आम फलों का राजा है उसी तरह आलू भी सब्जियां का राजा है। इसकी सबसे खास बात यह है कि यह हर तरह की सब्जी में डाला जाता है और स्वाद भी बेमिसाल कर देता है। आलू हमारे स्वास्थ्य के लिए भी बहुत अच्छा है। इसमें भरपूर मात्रा में कार्बोहाइड्रेट होते हैं, जिन्हें बॉडी द्वारा ऊर्जा बनाने के लिए आसानी से बर्न किया जा सकता है। अगर पैदावार के समय से आलू अंकुरित है, तो अंकुर हटाकर उसे खाया जा सकता है। अध्ययन के अनुसार, इस दौरान सब्ज़ी में अधिकांश पोषक तत्व होते हैं। लेकिन अगर आलू काफी दिनों से रखा हुआ है और वो सिकुड़ गया है या उसमें झुर्रियां पड़ गई हैं, तो उसे फेंकना ही बेहतर उपाय है।
अंकुरित आलू का सेवन करना भी हानिकारक हो सकता है। अंकुरित आलू में सोलनिन और चासोनिन की मात्रा बढ़ जाती है, जो ग्लाइकोलोकॉल्ड्स पोइजन है। यह नर्वस सिस्टम के लिए बहुत हानिकारक हो सकते हैं। अगर आलू पर उगते समय ही अंकुरित है, तो कोई बात नहीं लेकिन अगर काफी दिनों तक रखने के बाद वो अंकुरित हो गए हैं, तो उनका सेवन ना करें।
आलू को कभी फ्रिज में नहीं रखना चाहिए। इससे स्टार्च शुगर में बदल सकते हैं और आलू मीठा हो सकता
आलू में 78 फीसदी पानी होता है, जिस कारण आमतौर पर ये 5 से 7 महीने तक सही रहता है। हालांकि उसका भंडारण ठंडे, डार्क और हवादार स्थान पर किया जाना चाहिए।
नमी वाले स्थानों, उमस भरे वातावरण और हवा नहीं पहुंचने वाले स्थानों पर आलू के भंडारण से उसमें अंकुर पैदा हो सकते हैं।
जब आलू का रंग हरा हो जाए तो समझ जाएं कि आलू खराब हो गया है। हालांकि ऐसे आलू हमें स्वास्थ्य रूप से नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। इसलिए आप चाहे तो हरे भाग को काटकर इस्तेमाल कर सकते हैं। दरअसल हरे आलू प्रकाश में उगे हुए होते हैं। इसलिए उनका सोलनिन लेवल भी अधिक होता है।