प्राचीनकाल से अश्वगंधा हमारे जीवन में महतपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह एक औषधीय में उपयोग करने वाला एक पेड़ माना जाता है। ये शरीर को चुस्ती-फुर्ती प्रदान करता है। अश्वगंधा को एक टॉनिक कहा जाता है,क्यूकी यह शारीरिक क्षमता और आरोग्यवृद्धि करता है। अश्वगंधा को अंग्रेजी में भारतीय जिनसेंग कहा जाता है। अश्वगंधा के पेड़ और इसके ओषधीय गुणो का वर्णन परम्पिक चीनी चिकित्सा और आयुर्वेद दोनों में किया गया है। अश्वगंधा प्रकृति का दिया हुआ एक ऐसा वरदान है जिसको हम कई प्रकार की बीमारिया एवं सोंद्रया बढ़ाने वाले प्रॉडक्ट बनाने में काम में लिया जाता है। अश्वगंधा को दवाई की तरह और शतावरी की तरह हम उपयोग कर सकता है।
शोध अध्ययनों से पता चला है कि अश्वगंधा का सेवन प्रतिरक्षा प्रणाली को मज़बूत बनाता है। चूहों के ऊपर किए गए प्रयोग में पाया गया कि अश्वगंधा के सेवन से चूहों में लाल रक्त कोशिका और सफेद रक्त कोशिकाओं में भी वृद्धि हुई। इससे यह माना जा सकता है कि आदमी की लाल रक्त कोशिकाओं पर अश्वगंधा के सेवन से सकारात्मक प्रभाव हो सकता है, जिससे एनीमिया जैसी स्थितियों को रोकने में मदद मिल सकती है।
अश्वगंधा शरीर की शक्ति और मांसपेशियों की क्षमता बढाता है।शोधकर्ता कई परिक्षण कर ये पहेचानने की कोशिश कर रहे हैं कि अश्वगंधा के सेवन की सुरक्षित मात्रा कितनी होनी चाहिए। कई परीक्षणों में यह सिद्ध हुआ कि जिन लोगों ने 30 दिन तक प्रतिदिन 750-1250 मिलीग्राम अश्वगंधा का सेवन किया उनकी मांसपेशियां मज़बूत हुई और उनके अन्दर फैट कम हुआ।
एक अध्ययन में कैंसर को खत्म करने के लिए ऑन्कोलॉजी के क्षेत्र में, विकिरण चिकित्सा और रसायन चिकित्सा के साथ अश्वगंधा को एक उभरता हुआ सहयोगी विकल्प है। यह ट्यूमर सेल को खत्म करने की गतिविधि के साथ बिना हस्तक्षेप किए कीमोथेरेपी के दुष्प्रभावों को कम करने के लिए जाना जाता है।